9
August 2015
मेघाच्छादित गगन
सूर्य को करके नमन, जब खोले नेत्र, सामने था मेघाच्छादित गगन
दो पल में ही लुप्त हो गए सूर्य देव, हो गयी लुप्त प्रज्जवलित किरण
कहाँ हूँ मैं, नहीं है यह अन्धकार, न ही है यह जीवन का प्रकाश
कदाचित है यह आपका का आशीर्वाद, या मेरा अंध विश्वास
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