LinkedIn Twitter
14 December 2019

जीवन की हुंकार

उज्जवल हुआ मस्तिष्क पटल, धधकती ज्वाला से
रग रग में आज है अंगार , धधकती ज्वाला से
यह न्याय की हुंकार, कहीं दया में दब न जाए
जल गया जो जीवन, कहीं चिता उसकी बुझ न जाए
इस अंगार को कर लो तुम अंगीकार
मत करना इस हार को तुम स्वीकार
यही अंगार हर पल, बीते दिन याद दिलयेगा
यही अंगार तुम्हे अपमान का न्याय दिलवायेगा
यही अंगार सिसकती रातों में ढाढस बंधायेगा
यही अंगार दिल की चीत्कार को सुन पायेगा
यही अंगार जलती चिता की आग बुझएगा
यही अंगार तुम्हे भव सागर के पार ले जाएगा

by Puneet Gaur
0 Comments
0 Comments
No comments found.

Leave a Comment

Let's stay in touch

Subscribe To Our Newsletter

Loading
LinkedIn Twitter