हम नन्हे मुन्हे बच्चे, कोमल कन्धों पर इतना भार उठाते हैं
पर फिर भी माता पिता कि अपेक्षा में पास नहीं हो पाते हैं
यह लोग हमे दिन रात यहाँ वहाँ सर्दी गर्मी में भागते हैं
स्कूल से हिंदी तक, हिंदी से संगीत तक नाच नचाते हैं
यह लोग हमे कभी भारतीय वस्त्रों से सजाते हैं
कभी हम पर पश्चिमी वस्त्र चढ़ा कर इठलाते हैं
कभी हमसे मंदिरों में घंटे बजवाते हैं
और कभी रॉक म्यूजिक पर डांस करवाते हैं
हम नन्हे मुन्हे बच्चे, कोमल कन्धों पर इतना भार उठाते हैं
और आज तो इन लोगों ने हम पर इतना जुर्म करवाया
किसी हिंदी नामाक भाषा में जाने हमे क्या रटवाया
और फिर तीन अजीब चेहेरों को हमारे सामने लाकर बैठाया
हमे स्टेज पर धकेल कर हमसे जाने क्या क्या करवाया
और बाद में हम सबको एक एक पेन पकड़ाया
इनकी लीला यह ही जाने, हम तो बच्चे हैं अनजाने
क्या सही है क्या है गलत यह भला हम क्या जाने
पार्टी में हम सो जाते हैं , मूवी हाल में रो कर चिलाते हैं
स्टेज पर कविता भूल जाते हैं, नीचे आते है गा कर सुनाते हैं
पर भगवान् आप तो हो ज्ञानियों में ज्ञानी
क्यूँ चलने देते हो माँ बापों कि यह मनमानी
हर सोमवार को इनकी घडी ख़राब कर जायो
स्विमिंग क्लास के दिन खूब बरफ बरसायो
हम नन्हे मुन्हे बच्चे, कोमल कन्धों पर इतना भार उठाते हैं
एक दिन आप भी आकर ज़रा थोरा भार उठा कर दिखाओ
राजा राम बनना या दही माखन चुराना हम भी कर सकते हैं
सुबह इंग्लिश और रात को हिंदी पढ़ कर ज़रा आप दिखाओ
हम नन्हे मुन्हे बच्चे, कोमल कन्धों पर इतना भार उठाते हैं
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