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16 August 2018

अभिव्यक्त

दिल का मौन कोई उदास गीत गुनगुना रहा है 
व्यथा का भार, अदृश्य आंसू बन बहा जा रहा है 
अभिव्यक्त हो नहीं सकता, धरती के दिल का गीत
कभी उसे मिल नहीं सकता, आसमां जैसा मीत
धरती के चारों ओर, करता है वो आलिंगन
अस्तित्व का अहसास, स्पर्श को तरसता मन
हर क़ुरबानी देकर, तेरे को शीश नवाया
दुर्भाग्य हमारा, फिर भी दिल न जीत पाया
किसको अभिव्यक्त करें, किसको सुनाए व्यथा गीत
छाती फाड़ कर वृक्ष उगाये, फिर भी मिला न मीत
फूलों से रिझाया तुझे, झरनों का सुनाया संगीत
दुर्भाग्य हमारा, तू फिर सुन न पाया दिल का गीत 

by Puneet Gaur
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