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21 August 2019

एक सच्चे दोस्त की यादों को सम्पर्पित

एक सच्चे दोस्त की यादों को सम्पर्पित, जो जून २०१९ में यह संसार को त्याग कर चला गया
क्या करूँ ऐ दोस्त,  यह आंसू अब थमते नहीं
थम गयी ज़िन्दगी, आगे बढ़ने के लिए पैर उठते नहीं
तुम्हे कॉल करने के लिए बेचैन हाथ, अब  रुकते नहीं
मेरे दिल का हाल सुनने के लिए, राहगीर रुकते नहींरातों के अँधेरों में, जब में तुमसे बातें करता हूँ
यादों के झरोखों से, तुमको देखा करता हूँ
सूने आसमान में , तुम्हे ढूंढा करता हूँ
अब भी हर पल तुम्हारे फ़ोन का इंतज़ार करता हूँजिंदगी का यह मोड़, तुम्हारा दिया अहसास है
उग रहा है नया सच, मेरा दोस्त मेरे  आस पास है
इस सच का सामना करने की हिम्मत तुम ही थे
डूबा था जब मेरा सूरज, मेरे साथ तुम ही थे

लिखता हूँ एक गीत, इसके पीछे भी एक आस है
पढ़ लोगे मेरा यह नमन, इसका मुझे अहसास है
बहुत कठिन यह डगर है, बहुत दूर मेरा नगर है
थम गए हैं यह पैर, बहुत लम्बा यह सफर है

लम्बी डगर का सफर, कभी तो कटता होगा
सफर में कहीं कभी तो हमसफ़र भी मिलता होगा
धुंधले गगन पर भी तो कभी सूरज उगता होगा
डगमगाती कश्ती को कभी तो किनारा मिलता होगा

by Puneet Gaur
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