इस परिहास में भी तो कोई आस होगी
इस परिहास में भी तो कोई आस होगी
हमें तो था पूरा विश्वास
नहीं पता था की विश्वास पर भी घात होगी
किया था पूर्ण आलिंगन
नहीं पता था की तुम आस्तीन का सांप होगी
दिया तो था सम्पर्ण का हार
नहीं पता था की तुम्हे एक हार काफी नहीं होगा
जब डाले सौ हार तुमने गले में
क्यों नहीं सोचा उन हारों में मेरी हार होगी
कर लिया है आज एक फैसला
नहीं पता क्या समाज का कल फैसला होगा
यहाँ फैसला जो भी हो
देखना एक दिन भगवन के घर सही फैसला होगा
यह श्राप खाली नहीं जाएगा
मेरे आँसू का हर कण तुम पर भारी पड़ जाएगा
धर्म का जिसने किया पालन
उसके धर्मं का वार कभी खाली नहीं जाएगा
मेरा दिल करता है क्रंदन
उस क्रंदन की पुकार, एक दिन पूरा जग सुन पायेगा
आज टूटी है आस
ईश्वर कभी तो फिर से आस जगाएगा
आज है तुम्हारा दिन, एक दिन मेरा भी आएगा
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